उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने अपनी सभी भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब आयोग की हर परीक्षा को तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें साक्षात्कार (इंटरव्यू) को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। यह निर्णय प्रशासनिक सेवाओं के अलावा अन्य तमाम भर्तियों पर भी लागू होगा।
अब तक कई भर्तियों में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के बाद सीधे चयन हो जाता था, लेकिन अब आयोग ने निर्णय लिया है कि सभी चयन प्रक्रियाओं में इंटरव्यू भी ज़रूरी होगा। इस कदम का उद्देश्य भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और गहराई लाना है, ताकि चयन केवल शैक्षणिक योग्यता पर ही नहीं बल्कि अभ्यर्थी के व्यक्तित्व और व्यवहारिक समझ पर भी आधारित हो।
यह बदलाव यूपी में शिक्षकों की भर्ती प्रणाली में भी लाया जा रहा है। राज्य अभियंत्रण सेवा में पहली बार इंटरव्यू को शामिल किया गया है। साथ ही एलेमेंट्री एजुकेशन (प्राथमिक शिक्षा) की भर्ती प्रक्रिया में भी इंटरव्यू और चरणबद्ध परीक्षा प्रणाली लागू करने की तैयारी की जा रही है।
UPPSC अब यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी भर्ती में चयन के पहले प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और फिर साक्षात्कार से गुजरना अनिवार्य हो। आयोग का मानना है कि इससे न केवल परीक्षाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि योग्य और व्यवहारिक रूप से सक्षम अभ्यर्थी चयनित हो सकेंगे।
लोक सेवा आयोग का यह भी कहना है कि केवल पुस्तकीय ज्ञान को मापना पर्याप्त नहीं है। साक्षात्कार के माध्यम से अभ्यर्थी के वैयक्तिक गुण, सामाजिक दृष्टिकोण और तर्कशक्ति का मूल्यांकन संभव होगा, जिससे चयन की प्रक्रिया अधिक सटीक और भरोसेमंद बन सकेगी।
इस निर्णय का असर भविष्य की सभी प्रमुख भर्तियों पर पड़ेगा, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रवक्ता, अभियंता, चिकित्सा अधिकारी, प्रशासनिक सेवा जैसी परीक्षाएं शामिल हैं। अब तक इन भर्तियों में साक्षात्कार की भूमिका सीमित थी या नहीं थी, लेकिन अब यह अनिवार्य होगा।
UPPSC का यह कदम भर्ती व्यवस्था को पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है, जिससे योग्य अभ्यर्थियों को निष्पक्ष अवसर मिलेगा।
हालांकि इसका एक नेगटिव पॉइंट यह है की अक्सर देखा गया है की इंटरव्यू से भर्ती मे करप्शन बढ़ता है। अगर आयोग व सरकार इस समस्या का समाधान करके इंटरव्यू लागू करते हैं तो यह निश्चित रूप से एक अच्छा कदम माना जा सकता है।