तमिलनाडु के एक युवक को सर्कल बेस्ड ऑफिसर (CBO) की नौकरी मिलने के बाद भी सिर्फ इसलिए पद नहीं मिल सका क्योंकि उसका CIBIL स्कोर खराब था और उसकी क्रेडिट हिस्ट्री में लोन व क्रेडिट कार्ड भुगतान में चूक दर्ज थी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा नियुक्ति रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिका को मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और बैंक के फैसले को उचित बताया।
यह मामला P कार्तिकेयन नामक युवक से जुड़ा है, जिसकी नियुक्ति 9 अप्रैल 2021 को रद्द की गई थी। उसने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि भर्ती के समय उसके ऊपर किसी भी बैंक का बकाया नहीं था और उसने सारे लोन चुका दिए थे। साथ ही उसे किसी एजेंसी ने ‘डिफॉल्टर’ घोषित भी नहीं किया था। इसलिए उसकी नियुक्ति रद्द किया जाना गलत था।
हालांकि, एसबीआई की ओर से अधिवक्ता सी. मोहन ने दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया की शर्तों के तहत जिस उम्मीदवार की क्रेडिट हिस्ट्री में डिफॉल्ट या नेगेटिव रिपोर्ट हो, उसे अपात्र माना जाता है। बैंकिंग सेवा में कर्मचारी को सार्वजनिक धन के साथ काम करना होता है, और ऐसे में वित्तीय अनुशासन बेहद आवश्यक होता है।
अदालत ने बैंक की दलीलों से सहमति जताई और कहा कि सार्वजनिक धन को ईमानदारी और वित्तीय अनुशासन के साथ संभालना जरूरी है। इसलिए कोई भी व्यक्ति जिसकी वित्तीय पृष्ठभूमि संदिग्ध है या जिसने पहले लोन भुगतान में लापरवाही की है, उसे ऐसी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति एन माला ने अपने फैसले में कहा कि बैंकिंग में काम करने वाले व्यक्ति को वित्तीय अनुशासन का उदाहरण बनना चाहिए और अगर किसी का CIBIL रिकॉर्ड खराब है तो उसे बैंकिंग नौकरी के लिए अयोग्य ठहराया जाना एक उचित निर्णय है।
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि बैंक की नौकरी के लिए केवल परीक्षा पास करना ही काफी नहीं है, बल्कि आपकी वित्तीय ईमानदारी और क्रेडिट हिस्ट्री भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।